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देशभक्ति शेर शायरी गीत निबंध कविता भाषण का विशाल संग्रह NIKUNJ SAVANI

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भाग-104 देशभक्ति शेर शायरी गीत निबंध कविता भाषण का विशाल संग्रह

वतन के लिए जो फ़ना हो गए हैं
तिरंगा उन्हीं की सुनाता कहानी.....
किया दिल से हर फैसला ज़िंदगी का
कोई बात समझी, न बूझी, न जानी....

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मंदिर के भगवान भी पूजे हैं मैंने, हर सुबह मैंने ज्योत जलाई है,
पर सजदा करता हूँ आज उसका, राष्ट्र को समर्पित जो तरुणाई है !
मेरी पूजा की थाली तुम्हारे लिए है, आज वतन पर तुम फ़ना हो गए,
मेरी श्रद्धा के अश्रु तुम्हारे लिए हैं, मेरी नज़रों में तुम खुदा हो गए !
वो माँ के दुलारे तुम भी थे, बहना के प्यारे तुम भी थे,
किसी के सुहाग तुम भी थे, बच्चों के ख़्वाब तुम भी थे,
एक माँ को माँ का दान था ये, क्षत्रिय का बलिदान था ये,
जी सकें हम सब भारतवासी, इस वचन का सम्मान था ये,
इन शहादतों का मान रखो, खुद से पहले हिन्दुस्तान रखो,
थोड़ी गैरत रखो उन वीरों की, वतनपरस्ती के इन हीरों की,
नहीं कहता मैं भर्ती हो जाओ फ़ौज में, करो सीमा पर लड़ाई,
जहाँ भी हो जैसे भी हो, कुछ करो जिससे हो देश की भलाई,
कुछ बनाओ हिन्दुस्तान ऐसा, हर दिल में हिंदुस्तान हो,
फिर से बनें हम विश्व गुरु, दुनिया में हमारी पहचान हो,
माटी है ये बलिदान की, इसका न अब अपमान हो,
जागो, पुकार रहा है वतन, जागो अगर इंसान हो !


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ताकत वतन की हमसे है
हिम्मत वतन की हमसे है
इज्ज़त वतन की हमसे है
इंसान के हम रखवाले



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ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन हैं हम सब का, लहरा लो तिरंगा प्यारा.....


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ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये....


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मुझे तन चाहिए , ना धन चाहिए
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए
जब तक जिन्दा रहूं,इस मातृ-भूमि के लिए
और जब
मरू तो तिरंगा कफ़न चाहिये
* जय-हिन्द *


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"लिख रहा हूं मै अजांम जिसका कल आगाज आयेगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा,


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 मै रहू या ना रहू पर ये वादा है तुमसे मेरा कि,मेरे बाद वतन पर मरने वालो का सैलाब आयेगा"


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मेरे देश के असली हिरों जिन पर मुझे हमेशा गर्व रहता हैं जय हिन्द् जय माँ भारती !!
कभी ठंड में ठिठुर के देख लेना ,
कभी तपती धुप में जल के देख लेना,
कैसे होती हैं हिफाजत मुल्क की,
कभी सरहद पर चल के देख लेना,
कभी दिल को पत्थर कर के देख लेना,
कभी अपने जज्बातों को मार के देख लेना,
कैसे याद करते हैं मुझे मेरे अपने,
कभी अपनों से दुर रह के देख लेना,
कभी वतन के लिये सोच के देख लेना,
कभी माँ के चरण चूम के देख लेना,
कितना मजा आता हैं मरने में यारों,
कभी मुल्क के लिये मर के देख लेना,
कभी शनम को छोड़ के देख लेना,
कभी शहीदों को याद कर के देख लेना,
कोई महबूब नहीं हैं वतन जैसा यारों,
मेरी तरह देश से कभी इश्क करके देख लेना !!



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ऐ वतन ऐ वतन,
हमको तेरी कसम !!
फूल क्या चीज है,
तेरे कदमो मे हम !!
भेंट अपने सरो की चढ जाएंगे॥


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मरना है तो वतन के लिए मरो...
कुछ करना है तो वतन के लिए करो..
अरे टुकड़ों में तो बहुत जी लिया..
अब जीना है तो मिल कर वतन के लिए जियो..

जय हिंद !!!


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वतन के रखवाले हैं हम
शेर -ए-जिग़र वाले हैं हम
मौत से हमें क्यों डर लगेगा
मौत को बाँहों में पाले हैं हम
जय हिन्द वन्दे मातरम


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हम अपने खून से लिक्खें कहानी ऐ वतन मेरे.
करें कुर्बान हँस कर ये जवानी ऐ वतन मेरे.

दिली ख्वाहिश नहीं कोई मगर ये इल्तिजा बस है,
हमारे हौसले पा जायें मानी ऐ वतन मेरे.


अलग ही शख्सियत संवरे बदन को चूमे जब वर्दी,
ये मेरी शान, रुतबा और निशानी ऐ वतन मेरे.

न की परवाह अपनी जान पर खेला शहीदों ने,
सुनाती फक्र से किस्से है नानी ऐ वतन मेरे.

हँसी इक पैरहन पहने मिले एहसास के बादल,
कभी यादें हुई जब आसमानी ऐ वतन मेरे.

हमारे हौसलों को सुर्ख़ियों की चाह क्यूँकर हो,
वो खुश्बू बन महकते हैं ज़ुबानी ऐ वतन मेरे.

बहे कश्मीर से कन्याकुमारी, बंग से गुजरात


रगों में खून इक हिन्दोस्तानी ऐ वतन मेरे.


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मेरी महफ़िल है, मेरा सेहरा है, मेरा कफ़न है, वतन मेरा..

एक ज़िन्दगी नहीं,
हर जनम वारं दूँ, अपने हिन्दुस्तान पर..


मेरा जूनून है, मेरा सनम है, मेरा कर्म है, वतन मेरा..

लहू की हर बूँद बूँद से,
लाल कर दूँ, सरहदे -ऐ-हिन्दुस्तांन..

मेरा इश्क है, मेरा फख्र हैं, मेरी जान है, वतन मेरा...!!!

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